एक महिला का जीवन आसान नहीं होता। उसके जन्म के साथ ही उसे कई तरह की डिमांडिंग भूमिकाओं में बांध दिया जाता है। पहले बेटी, जिसे घर की इज्जत बना दिया जाता है। फिर एक पत्नी, जिसे घर की सारी जिम्मेदारी सौंप दी जाती है। और फिर एक मां, जिसे हमेशा खुद से पहले बच्चों के लिए सोचना पड़ता है। इन सारी भूमिकाओं में नारी अपने अस्तित्व को ही खो बैठती है।
वो अपने लिए चाह कर भी समय नहीं निकाल पाती। अपनी इच्छाओं का गला घोंट देती है। घर और दफ्तर के बीच सबकुछ संभालते हुए खुद को संभालना भूल जाती है। और यही कारण है कि महिलाएं अक्सर अवसाद का शिकार हो जाती हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ की मानें तो, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में डिप्रेशन के लक्षण अधिक दिखते हैं। इसकी वजह हार्मोनल बदलाव, सोशल फैक्टर या बायोलॉजिकल कुछ भी हो सकता है।
‘परफेक्ट‘ बनने का प्रेशर
हमारे समाज में अक्सर देखा जाता है कि महिलाओं पर ‘परफेक्ट‘ बनने का प्रेशर बहुत होता है। खासतौर पर कामकाजी महिलाओं को ऑफिस ही नहीं घर भी बराबर संभालना पड़ता है। ऐसे में अपने करियर और घर की जिम्मेदारियों के बीच जूझते हुए उनके मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव प्रभाव पड़ता है। जो ज्यादातर शुरुआती या आखिर तक भी इग्नोर करने की कोशिश ही की जाती है।
तनाव की शिकार ज्यादातर शादीशुदा महिलाएं होती हैं, जो आजकल की व्यस्त लाइफ में अपने लिए समय ही नहीं निकाल पातीं। उनके घरों में काम का असमान बंटवारा होता है। मॉडर्न होने का दिखावा करने वाले परिवार भी बहु को ताने मारने में कभी पीछे नहीं रहते। पति और परिवार की रूढ़िवादी सोच, समाज की अपेक्षाओं के बीच उसे कई बार अपने वर्किंग प्लेस पर भी भेदभाव या शोषण का सामना करना पड़ता है। उसे खुद की परवाह करने पर सेलफिश होने का टैग तक दे दिया जाता है। ऐसे में एक महिला जाने–अनजाने अवसाद की ओर बढ़ जाती है।
सेल्फ केयर करना मतलबी होना नहीं
मनोचिकित्सक मनिला गोयल वायरल नारी को बताती हैं कि औरतें ज्यादा सेंसिटिव होती हैं और यही कारण है कि उन पर किसी की बातों का असर भी बहुत जल्दी और लंबे समय तक रहता है। ऐसे में उन्हें ये समझना बहुत जरूरी है कि सेल्फ केयर करना मतलबी होना नहीं होता। घर और काम की जिम्मेदारियों के बीच खुद का ध्यान रखना न भूलें क्योंकि जीवन में इस तरह असंतुलन उदासी और निराशा बढ़ती है।
मनिला के मुताबिक घरवालों को हमेशा कोशिश करनी चाहिए कि एक महिला को सपोर्टिव वातावरण प्रदान करें। फिर वो किसी भी रोल में क्यों न हो। हमेशा महिला से डिमांड करने से बेहतर है कि आप उसकी जरूरतों को भी समझें। नहीं तो आप तनाव से जूझ रही महिला को और अवसाद की ओर ले जाएंगे। और शायद यही कारण है कि हमारे देश में हाउस वाइफ्स की आत्महत्या के आंकड़े भी बहुत हैं।
कैसे बचें डिप्रेशन से?
तनाव से मुक्ति का सबसे आसान तरीका है कि महिलाओं को अपने ऊपर विश्वास रखना होगा कि वो सुपरवुमन नहीं हैं। उनकी जिम्मेदारी सबको खुश रखने की बिल्कुल नहीं है। वो उतना ही काम करें, जितना कर सकती हैं। और सबसे जरूरी बात खुद से प्यार करने को प्राथमिकता दें। खुद में उदासी, तनाव, चिड़चिड़ापन और गुस्से जैसे बदलाव को समझें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
खुले वातावरण में सैर करें
भले ही आप दिन में कितनी ही व्यस्त क्यों न हों। सुबह अपने लिए जरूर समय निकालें। डॉक्टर्स के मुताबिक सुबह की सैर जरूरी होती है। डिप्रेशन को दूर करने के लिए ये सबसे जरूरी है कि आप बाहर निकलें और वॉक पर जाएं। साथ ही कहीं आउटिंग भी प्लान करें।
डायरी में अपने विचारों को लिखें
तनाव में अक्सर हम कई तरह के असमंजस में होते हैं। कई तरह के विचारों से मन में जूझ रहे होते हैं। कई बार ये भी होता है कि कोई हमें सुनने वाला नहीं होता। ऐसे में आपके मन में जो भी विचार आते हैं, आप उन्हें एक डायरी पर नोट कर लें। रोज़ाना डायरी लिखने की आदत आपके मन को हल्का करने में बहुत मदद करती है।
अपने आप को चुनौती दें
डिप्रेशन से जूझ रहा इंसान अक्सर बहुत नकारात्मक हो जाता है। उसे लगता है कि उससे अब कुछ नहीं होगा। उसके बस का कुछ भी नहीं है। ऐसे में जरूरी है कि आप खुद को चुनौती दें। अप खुद से कहें, कि जो भी हो आज मुझे ये काम करके ही दिखाना है। अपने आप को व्यस्त रखने की कोशिश करें।
खुद ही खुद सराहना भी करें
अगर आप कोई काम अच्छा करें, तो उसके लिए खुद को शाबाशी भी दें। फिर दुनिया भले ही कुछ कहे या नहीं। अपनी सफलताओं के लिए दूसरों पर निर्भर न हों। हमेशा अपने अच्छे काम का क्रेडिट लेना सीखें। अपनी चुनौतियों से लड़ने के लिए खुद को खुद ही हिम्मत दें।
रूटीन में पसंद के काम करें
हम सबका एक रूटीन होता है। जो हम रोज़ फॉलो भी करते हैं। ऐसे में आप अगर किसी अवसाद की समस्या से गुजर रही हैं, तो अपने रूटीन में अपने पसंदीदा काम को जोड़ लें। जैसे अगर आप खाना बनाती हैं, तो कोशिश करें कि अपनी मनपसंद का खाना बनाए। ये आसान नहीं है, लेकिन आपके लिए जरूरी जरूर है।
अगर आप किसी भी तरह से डिप्रेशन का शिकार हैं और आपके मन में गलत तरीके के ख्याल आते हैं तो आप सरकारी हेल्पलाइन का सहारा ले सकती हैं। आप मोबाइल मेंटल हेल्थ यूनिट 011-22592818 से भी संपर्क कर सकती हैं।
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