कृति सेनन की फिल्म ‘तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया’ टेक्नोलॉजी के वरदान और अभिशाप होने की कहानी है!

आपने बचपन में ‘Technology innovation can be both a boon and a bane’ वाली डिबेट तो जरूर सुनी होगी। हो सकता है इस पर आपने अपनी परीक्षा में निबंध भी लिखा हो। तो बस ये फिल्म आपको उसी कॉन्सेप्ट के इर्दगिर्द लेकर जाती है। यहां एक इंसान और रोबोट की लव स्टोरी है। जो शुरुआत में एक दम परफेक्ट लगती है, यानी यहां तकनीक और आविष्कार के आप फैन हो जाएंगे। लेकिन जैसे ही फिल्म अपने क्लाईमैक्स पर पहुंचती है, आपको एहसास होना शुरू हो जाता है कि ये अविष्कार किसी लापरवाही या फॉल्ट के चलते कितना खतरनाक रूप भी ले सकता है।

फिल्म मनोरंजन के लिहाज़ से बेस्ट है। आपको हंसाती है, कभीकभी रुलाती भी है। लेकिन सबसे जरूरी बात आपको बहुत कुछ सिखाती है। फिल्म में ये बताने की कोशिश की गई है कि भले ही टेक्नोलॉजी कितनी भी आगे क्यों न बढ़ जाए, वो हम इंसानों की जगह कभी नहीं ले सकती। इसके अपने फायदेनुकसान तो हैं ही साथ ही ये आपकी भावनाओं से परे भी है। जिसे कब क्या करना है, ये पता ही नहीं होता। वो सिर्फ अपने कमांड के हिसाब से आपको फॉलो कर सकती है।

फिल्म की कहानी

फिल्म की शुरुआत शाहिद कपूर से होती है, जिनका पूरा परिवार उनकी शादी को लेकर चिंता में डूबा हुआ है। यहां शाहिद का नाम आर्यन होता है और वो एक रोबोटिक इंजीनियर होते हैं। वो अपनी मासी (डिंपल कपाड़िया) की एक बड़ी कंपनी में काम करते हैं, जो रोबोट को इंसानों की मदद के लिए इस्तेमाल में लाने योग्य बनाने की कोशिश करती हैं। एक दिन मासी आर्यन को अपने घर अमेरिका बुलाती हैं और फिर खुद वहां से गायब हो जाती हैं।

इस बीच शाहिद की मुलाकात कृति सेनन से होती है, जिस पर उनका दिल आ जाता है। दोनों के बीच बात आगे बढ़ जाती है और फिर जब मासी आती हैं, तो शाहिद को कृति की सच्चाई पता लगती है। मासी इसे बहुत ही कूल अंदाज में एक एक्सपेरिमेंट समझ के खुश होती हैं। लेकिन शाहिद कृति के ख्यालों में उलझ कर खुद को ठगा हुआ फील करते हैं और वहां से इंडिया वापस चले आते हैं।

फिर इंडिया में कुछ ऐसा होता है कि शाहिद फिर मासी को बातों में उलझा कर कृति को इंडिया ही बुला लेते हैं। अपने परिवार से मिलवा कर शादी तक फिक्स करवा लेते हैं। लेकिन अब पूरी कहानी में ट्विस्ट आता है। जब कृति जो कि एक रोबोट हैं, उनकी मेमोरी एक वायरस से डिलीट हो जाती है और वो सब कुछ भूल जाती हैं। ये पूरा मामला जैसेतैसे संभल भी जाता है, लेकिन आगे और ब्लंडर हो जाता है, जब रोबोट का मदरबोर्ड खराब हो जाता है।

तकनीक का दुरुपयोग खतरनाक है!

ये असली कहानी का क्लाईमैक्स है, जिसे देखने के लिए आपको सिनेमा घर जरूर जाना चाहिए। क्योंकि यही वो कॉन्सेप्ट है, जो आपको तकनीक पर अति निर्भरता का सबक भी सामने रखती है। ये आपको समझाती है कि तकनीक को हम मनुष्यों ने जिस उपयोग के लिए बनाया है, उससे इतर इसका इस्तेमाल कितना डरावना या खतरनाक हो सकता है।

इस फिल्म का अभी सीक्वल भी आना बाकी है। जिसमें आपको जाह्नवी कपूर भी देखने को मिल सकती हैं। इस फिल्म के आखिर में भी उनका छोटा सा रोल है, जो फिल्म की कहानी को और मजेदार बनाता है। वहीं कृति की कहानी भी अभी खत्म नहीं होती, इसमें भी बहुत मसाला आपको आगे देखने को मिल सकता है। कुल मिलाकर कहें, तो फिल्म आपको एक बार जरूर देखनी चाहिए।

फिल्म में अभी बहुत कुछ होना बाकी है और बहुत कुछ ऐसा भी था, जो और बेहतर हो सकता था। लेकिन एंटरटेनमेंट के लिहाज से ये एक अच्छी फिल्म है, जो आम फिल्मों की थीम से थोड़ा हटके टॉपिक की ओर आपको ले जाती है।

इसे भी पढ़ें: कृति सेनन को मिला बेस्ट एक्ट्रेस का नेशनल अवार्ड, जानें मिमी की कहानी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *