नवरात्रि का पावन पर्व अब महज़ कुछ ही दिनों में शुरू होने वाला है। ऐसे में बहुत से बाज़ारों और घरों में इसकी तैयारी ज़ोर–शोर से चल रही है। नौ दिन के इस महापर्व में कई लोग मां शक्ति को प्रसन्न करने के लिए नौ दिन का उपवास भी रखते हैं। उपवास में कई लोग फलाहार तो कई लोग एक समय का खाना खाते हैं।
इस लेख में हम आपको व्रत में सबसे ज्यादा खाए जाने वाले कुट्टू के आटे के बारे में बताएंगे। इस आटे को वैसे तो बहुत फायदेमंद माना जाता है। लेकिन इसके कई नुकसान भी हैं, जिसके बारे में हमें सतर्क रहने की जरूरत है।
कुट्टू का आटा आमतौर पर व्रत के दौरान ज्यादा खाया जाता है। इसका उपयोग पूड़ियां और पकौड़े बनाने में किया जा सकता है। इसके अलावा आप इससे पराठे, इडली या फिर स्वादिष्ट डोसा भी बना सकते हैं। कूटू के आटे का हलवा भी बहुत लोगों को खूब पसंद आता है।
प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए है एक सुपरफूड
कुट्टू के आटे को अंग्रेजी में Buckwheat भी कहते हैं। इसका वैज्ञानिक नाम फैगोपाइरम एस्कलूलेंट है और ये पोलीगोनेसिए फैमिली से ताल्लुक रखता है। इसके बीजों को पीस कर कुट्टू का आटा बनाया जाता है। इसकी गिनती ग्लूटेन फ्री आहारों में होती है और इसलिए इसे कई रोगों में एक औषधी की तरह माना जाता है।
कुट्टू का आटा प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए एक सुपरफूड माना जाता है। इसमें फॉलेट, आयरन, मैग्नीशियम, कैल्शियम, डाइटरी फाइबर और एसेंशियल अमीनो एसिड प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। यही कारण है कि गर्भावस्था इसे बच्चे के विकास के लिए जरूरी तौर पर देखा जाता है।
कुट्टू का आटा कब्ज, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल रखने में मदद करता है। इसमें आयरन और विटामिन सप्लीमेंट अच्छी मात्रा में होते हैं, जो हीमोग्लोबिन को बढ़ाते हैं। ये एक तरह से इम्यूनिटी बूस्टर का भी काम करता है।
वजन घटाने से लेकर इम्यूनिटी तक करता है बूस्ट
कई जानकारों का मानना है कि कुट्टू का आटा खाने से वजन घटाने में मदद मिलती है। इसमें भरपूर न्यूट्रिशन पाए जाते हैं, जिससे लंबे समय तक पेट भरा रहता है। ये आपको ओवर इटिंग से बचा लेता है। क्योंकि इसमें आयरन की मात्रा काफी होती है, इसलिए ये एनीमिया, कमजोरी और थकान जैसी समस्याओं में भी राहत देता है।
इस आटे में कैल्शियम और मैग्नीशियम काफी पाया जाता है। इससे शरीर के विकास के साथ ही दांत और हड्डियों को भी फायदा पहुंचाता है। इसमें मौजूद एंटी–ऑक्सिडेंट से एग्जाइटी कम होती है और हार्मोन बैलेंस रहते हैं। इसमें इसमें एंटी–इंफ्लेमेटरी और एंटी–कैंसर गुण भी पाए जाते हैं।
सीमित मात्रा में करें सेवन
वैसे तो कूटू का आटा सीमित मात्रा में ही उपयोग करना चाहिए क्योंकि कई लोगों को इससे स्किन एलर्जी हो सकती है। इसके अधिक उपयोग से त्वचा पर रैशेज और सूजन भी होने का खतरा होता है। इसमें फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है, जो पेठ में गैस और ऐंठन की शिकायत हो सकती है। इसके साथ ही कुट्टू का आटा ज्यादा दिनों तक रखने से ये खराब हो जाता है और फूड पॉइजनिंग जैसी बीमारियों को न्यौता देता है। इसे एक महीने से ज्यादा न रखें। इसके सेवन की सही मात्रा के लिए बेहतर होगा कि आप एक बार चिकित्सक से संपर्क करें।
नोट : यहां सभी जानकारियां केवल ज्ञान के लिए हैं। किसी भी समस्या के लिए पहले अपने डॉक्टर से संपर्क करें।