Lok sabha election 2024 से ठीक पहले देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट Electoral Bond के मामले में गंभीर नज़र आ रही है। अदालत ने इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी देने से जुड़े केस में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की याचिका पर सोमवार, 11 मार्च को सख्त रूख अपनाते हुए महज़ 40 मिनट में ही अपना फैसला सुना दिया। सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने SBI से 12 मार्च यानी कल तक सारी जानकारी का खुलासा करने को कहा है। इसके बाद इलेक्शन कमीशन इस जानकारी को इकट्ठा कर 15 मार्च शाम 5 बजे तक अपनी वेबसाइट पर पब्लिश करेगा।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने बीते महीने 15 फरवरी को इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक करार देते हुए, इसकी बिक्री पर रोक लगाने का आदेश दिया था। इस फैसले में अदालत ने SBI को 12 अप्रैल 2019 से अब तक खरीदे गए इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी 6 मार्च तक इलेक्शन कमीशन को देने का निर्देश भी दिया था।
SBI के खिलाफ अवमानना
हालांकि अदालत की समय सीमा खत्म होने से महज़ दो दिन पहले 4 मार्च को SBI ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर इसकी जानकारी देने के लिए 30 जून तक का वक्त मांगा था। ADR यानी एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने भी इस मामले में याचिका दाखिल कर SBI के खिलाफ अवमानना का केस चलाने की मांग की थी।
सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान स्टेट बैंक ने कहा कि उसे बॉन्ड से जुड़ी जानकारी देने में हमें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन इसके लिए कुछ समय चाहिए। इस पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने बैंक से सवाल किया कि पिछली सुनवाई यानी15 फरवरी से अब तक 26 दिनों में बैंक ने क्या किया?
SBI ने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया तो होगा लीगल एक्शन
कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा कि स्टेट बैंक अपने चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर का एफिडेविट फाइल करे कि अदालत के इन दिए गए आदेशों का पालन होगा। अदालत ने साफ किया वो अभी इस मामले में कोई कंटेम्प्ट नहीं लगा रही है, लेकिन अगर SBI ने समय रहते कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया तो अदालत उसके खिलाफ लीगल एक्शन लेगी।
गौरतलब है कि इस पूरे मामले को लेकर ADR ने 7 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की थी। ADR ने कहा था कि SBI का मोहलत मांगना इस प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है। SBI का IT सिस्टम इसे आसानी से मैनेज कर सकता है। हर बॉन्ड में एक यूनिक नंबर होता है। इसके जरिए रिपोर्ट तैयार कर इलेक्शन कमीशन को दी जा सकती है।
ज्ञात हो कि दिसंबर, 2019 में ADR ने ही इस योजना पर रोक लगाने के लिए एक आवेदन दिया था। इसमें मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से बताया गया कि किस तरह चुनावी बॉन्ड योजना पर चुनाव आयोग और रिजर्व बैंक की चिंताओं को केंद्र सरकार ने दरकिनार किया था।