राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को भला कौन नहीं जानता। 30 जनवरी को उनका देश–विदेश में पुण्यतिथि मनाई जाती है। हालांकि ये कम ही लोगों को पता होगा कि बापू के जीवन में कुछ ऐसी महिलाएं भी रहीं, जो उनके विचारों से बेहद प्रभावित रहीं और इसी के चलते वो मोहनदास करमचंद गांधी से भी बेहद क़रीब रहीं। इन महिलाओं की ज़िंदगी में गांधी जी का गहरा असर रहा और ये असर उनके आखिरी सफर तक साथ ही रहा।
मेडेलीन स्लेड उर्फ मीराबेन
ब्रिटिश एडमिरल सर एडमंड स्लेड की बेटी मेडेलीन जर्मन पियानिस्ट और संगीतकार बीथोवेन की दीवानी थीं। और यही कारण था की वो लेखक और फ़्रांसीसी बुद्धिजीवी रोमैन रौलेंड के संपर्क आईं। रोमैन को महात्मा गांधी की बायोग्राफी लिखने के लिए भी जाना जाता है। इस बायोग्राफी से मेडेलीन बहुत प्रभावित हुईं और उन्होंने ज़िंदगी को लेकर गांधी के बताए रास्तों पर चलने की ठान ली।
मेडेलीन महात्मा गांधी की जीवनी से इतनी प्रभावित हुईं कि उन्होंने बापू को ख़त लिखकर अपने अनुभव साझा किए और आश्रम आने की इच्छा ज़ाहिर की। शराब छोड़ने, खेती सीखना शुरू करने से लेकर शाकाहारी बनने तक मेडेलीन ने गांधी के विचारों को अपने अंदर समाहित कर लिया।
निला क्रैम कुक
निला का जन्म अमेरिका में हुआ था लेकिन वो खुद को कृष्ण की गोपी मानती थीं। कहा जाता है कि साल 1932 में निला ने गांधी को बंगलुरु से एक खत लिखा, जिसमें छुआछुत के ख़िलाफ किए जा रहे कामों के बारे में उन्होंने बताया। और यहीं से दोनों के बीच खतों का सिलसिला यहां से शुरू हुआ। हालांकि इनकी मुलाकात एख साल बाद ही साल 1933 में यरवडा जेल में हुई। जहां गांधी जी ने निला को साबरमती आश्रम भेज दिया।
बापू पर लिखी किताबों के अनुसार आश्रम के माहौल में निला फिट नहीं हो पाईं और एक दिन आश्रम से भाग गईं। बाद में वो अमेरिका पहुंची और वहां उन्होंने इस्लाम कबूल कर कुरान का अनुवाद किया। हालांकि वो आजीवन महात्मा गांधी से प्रभावित रहीं।
सरला देवी चौधरानी
रविंद्रनाथ टैगोर की भतीजी सरला देवी चौधरानी भाषाओं, संगीत और लेखन में पारंगत थीं। सरला को महात्ममा गांधी के बेहद करीब माना जाता था। ऐसा कहा जाता है कि जब सरला के पति जेल में थे तब गांधी जी उनके घर लाहौर भी गए थे। सरला ने बापू के साथ मिलकर खादी के प्रचार के लिए भारत का दौरा भी किया था। हालांकि गांधी जी ने सरला से एक समय के बाद दूरी बना ली और फिर हिमालय में एकांतवास के दौरान सरला की मौत हो गई।
सरोजनी नायडू
कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष सरोजनी नायडू से तो सभी परिचित हैं। हालांकि सरोजिनी और गांधी की पहली मुलाकात लंदन में हुई थी। लेकिन गांधी जी की गिरफ्तारी के बाद नमक सत्याग्रह की अगुवाई सरोजिनी ने ही की थी। ये भी कहा जाता है कि गांधी के विचारों की अमिट छाप सरोजनी के मन में थी। वो आजीवन बापू का ही अनुसरण करती रहीं।
राजकुमारी अमृत कौर
पंजाब के कपूरथला के राजा सर हरनाम सिंह की बेटी राजकुमारी अमृत कौर को बापू के सबसे क़रीबी सत्याग्रहियों में गिना जाता है। नमक सत्याग्रह और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान वो जेल भी गईं। आज़ाद भारत की पहली स्वास्थ्य मंत्री बनने का गौरव भी राजकुमारी अमृत कौर को मिला। ऐसा बताया जाता है कि पहली मुलाकात के बाद गांधी और राजकुमारी अमृत कौर ने एक–दूसरे को सैकड़ों खत भेजे।
डॉ सुशीला नय्यर
सुशीला नय्यर महात्मा गांधी की निजी डॉक्टर थीं। वो बापू और कस्तूरबा गांधी से काफी प्रभावित थीं। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान वो कस्तूरबा गांधी के साथ मुंबई में गिरफ्तार भी हुईं और आखिरी समय तक उन्होंने कस्तूरबा का साथ नहीं छोड़ा। ऐसा कई खबरों में पढ़ने को मिलता है कि सुशीला के साथी ही उनके भाई प्यारेलाल भी गांधी जी के बहुत बड़े अनुयायी थे। दोनों भाई–बहन का जीवन गांधी के आदर्शों पर ही आगे बढ़ा।