नरगिस मोहम्मदी का नाम बीते कई दिनों से आप जरूर सुन रहे होंगे। आप में से कुछ लोग शायद उनके काम से भी वाकिफ होंगे। लेकिन शायद कम ही लोगों को पता हो कि नरगिस इस वक्त ईरान के जेल में कैद है। और इसकी बड़ी वजह उनका महिला और मानवाधिकारों के लिए 30 सालों से जारी संघर्ष है, जिसे जेल की कठोर सज़ा भी उन्हें जुदा नहीं कर पाई।
ये लेख महिला अधिकारों की सशक्त आवाज़ नरगिस मोहम्मदी को लेकर है, जिन्होंने ईरान में महिला शोषण–उत्पीड़न के खिलाफ न सिर्फ आवाज़ उठाई बल्कि सज़ा के तौर पर कई यातनाएं भी झेलीं, बावजूद इसके आज भी उनके कदम अडिग हैं। वो इसकी भारी कीमत चुका रही हैं, लेकिन फिर भी अपने काम को लेकर संकल्पित हैं।
आपको जानकर ये हैरानी होगी कि नोबेल पुरस्कारों के 122 साल के इतिहास में यह पांचवीं बार है, जब शांति पुरस्कार किसी ऐसे शख़्स को दिया जा रहा है जो जेल में कैद है या फिर घर में नज़रबंद है। नरगिस बीते कई सालों से जेल में बंद हैं और वहीं से लोगों के हक–हुकूक के लिए लड़ाई लड़ रही हैं। वो शिरीन एबादी के बाद इस पुरस्कार का सम्मान पाने वाली दूसरी ईरानी महिला हैं।
सरकारी दमन के आगे घुटने नहीं टेके, उसका डटकर सामना किया
नरगिस मोहम्मदी का इतिहास देखें, तो करीब तीन दशक पहले एक भौतिकी की छात्रा ने सरकारी दमन के आगे घुटने टेकने के बजाय उसका डटकर सामने करने की ठानी। साल 2011 में वो पहली बार जेल गईं और फिर 2015 में उन्हें फिर कैद कर लिया गया। वो अपने संघर्षों के दौरान 13 बार अरेस्ट हुई हैं। मौजूदा समय में 51 साल की नरगिस को 31 साल जेल और 154 कोड़ों की सज़ा मिली है।
उनके नाम कुछ नोबेल के अलावा अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव और मानवाधिकार फोरम में रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के पुरस्कार भी हैं। उनकी किताब ‘व्हाइट टॉर्चर: इंटरव्यूज़ विद ईरानी वूमेन प्रिज़नर्स’ ने क़ैदियों पर सत्ता के उत्पीड़न के ख़िलाफ़ लगातार आवाज़ बुलंद की है। वहां की महिला कैदियों पर हो रहे उत्पीड़न और यौन हिंसा का वह लगातार विरोध करती रही हैं। सभी के लिए सम्मानजनक जीवन जीने के अधिकार की वकालत करती नरगिस औरतों के लिए एक सशक्त आवाज़ हैं।
नरगिस ने ये जेल से भी जंग जारी है
ईरान की कट्टरपंथी सरकार के खिलाफ आंदोलन करना कोई आसान काम नहीं, बावजूद इसकी नरगिस ने ये जंग जारी रखी। एक ओर सरकार जहां मानवाधिकारों और खास कर महिला अधिकारों को सरेआम कुचल रही है, वहीं नरगिस दूसरी ओर सभी को एकजुट कर इस तानाशाही के खिलाफ आवाज़ उठा रही हैं। नरगिस ने सज़ा–ए–मौत के ख़िलाफ़ चलाई गई मुहिम में भी हिस्सा लिया। जिसके चलते वो गिरफ़्तार हुईं और उनकी सज़ा को बढ़ा दिया गया। आज भी नरगिस जेल में ही बंद हैं। लेकिन उनके संघर्ष को पूरी दुनिया सलाम कर रही है।
ईरान में बीते साल जब महिलाओं ने बुर्के को लेकर ऐतिहासिक संघर्ष किया, तो जेल से ही नरगिस ने इसे अपना समर्थन दिया। उनका ईरान की मोरेलिटी पुलिस की हिरासत में मारी गईं एक युवा कुर्दिश महिला महसा अमिनी की मौत की पहली सालगिरह पर एक लेख भी प्रकाशित हुआ। जिसमें नरगिस ने लिखा था, “The more of us they lock up, the stronger we become” यानी वे हम में से जितने ज़्यादा लोगों को गिरफ़्तार करेंगे, हम उतना मज़बूत होंगे।
नरगिस आज सिर्फ एक नाम ही नहीं रह गईं बल्कि महिला अधिकारों की आवाज़ के लिए एक उपलब्धि भी बन गई हैं। उन्होंने न सिर्फ ईरानी सत्ता को चुनौती दी हैं बल्कि लाखों करोड़ों महिलाओं को अपने हक के लिए खड़ा होने का हौसला भी दिया है।