Viral Nari

नवरात्रि 2023 : देवियों को पूजने वाले भारत में महिलाओं की स्थिति

शारदीय नवरात्रि इस साल 15 अक्टूबर से देशभर में मनाई जाएगी। नवरात्रि के हर दिन एक देवी की पूजा होती है। और आखिरी नौवें दिन छोटी कन्याओं को देवी मान कर उन्हें भोग लगाकर, भेंट देकर इस पूजा को संपन्न माना जाता है। नवरात्रि हिंदू धर्म में पवित्र देवियों की उपासना का त्योहार है। जो अमूमन कई जगह अलगअलग तरीके से मनाया जाता है।

नवरात्रि के पर्व में मुख्य तौर पर शक्ति की देवी मां दुर्गा के रूपों की उपासना होती है। ऐसा माना जाता है कि दुनिया की हर चीज़ उन पर निर्भर है। इसी के साथ यह भी दावा किया जाता है कि भारत में महिलाओं को देवी का स्थान प्राप्त है। हालांकि ये विडंबना ही है कि देवी को पूजने वाले इस देश में महिलाओं की स्थिति बद से बदतर है।

भारतीय संस्कृति में ऐसा कहा जाता है कि यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता: यानी जहां नारी की पूजा की जाती है, उनका सम्मान होता है, वहां देवताओं का वास होता है। लेकिन ये बातें हमारे पितृसत्तात्मक समाज में बस कहने भर की रह जाती है। क्योंकि यहां हर दिन किसी न किसी महिला के साथ शोषण, हिंसा या अत्याचार की खबरें सुर्खियां बनती हैं। यही नहीं यहां महिलाओं को घर की चारदीवारी में कैद कर, घूंघट और पल्ले को शान की बात बताई जाती है।

महिलाओं के खिलाफ अपराध की भायवह तस्वीर

भारत सरकार की मिनिस्ट्री ऑफ स्टेटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम इंप्लीमेंटेशन द्वारा जारी एक रिपोर्ट, के मुताबिक साल 2016 से 2021 में देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध की 22.8 लाख घटनाएं दर्ज की गईं। हैरानी की बात ये है कि इनमें से 7 लाख घटनाएं घरेलू हिंसा से संबंधित थीं। यानी 30 प्रतिशत मामले पति और उसके परिवार द्वारा हिंसा के थे।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्‍यूरो की भारत में अपराध– 2021′ रिपोर्ट के अनुसार, साल 2021 में देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 4,28,278 मामले दर्ज किए गए। वहीं दुष्कर्म के 31,677 केस दर्ज किए गए है। इस लिहाज से देश में रोजाना औसतन 86 रेप केस दर्ज हुए। ये आंकड़ा तब है, जब देश में बड़ी संख्या में महिलाएं पुलिस थानों तक दबाव या डर में शिकायत करने पहुंचती ही नहीं।

पितृसत्ता का दोहरा चरित्र

ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि जिस देश में नवरात्रों में कन्याओं को देवी तुल्य मानकर पूजा जाता है, वहीं उनके साथ हिंसा और शोषण भी किया जाता है। क्या ये हमारे समाज के दोहरे चरित्र को उजागर नहीं करता। सही मायनों में देखें तो आज भी भारत में कन्या के जन्म पर दुख मनाया जाता है, यहां सरकार और गेर सरकारी संगठनों के प्रयास के बावजूद अभी भी कन्या भ्रूण हत्या से छुटकारा नहीं मिला है। आज भी कई घरों में लड़कियों को बोझ ही समझा जाता है।

महिलाओं का पूरा जीवन ही संघर्ष से भरा है। फिर उन्हें देवी बनाकर भी क्या फायदा इससे तो बेहतर ही है कि आप उन्हें इंसान समझ कर बराबरी का हक ही दे दें। जिससे वो सम्मान के साथ अपना जीवन जी सकें। वैसे भी नारीवादी आंदोलन महिला को श्रेष्ठ नहीं बराबर मानने की लड़ाई बरसों से लड़ता आ रहा है। भगवान बनाकर नहीं महिलाओं को इंसान बनाकर सम्मान दीजिए। तभी वास्तव में नवरात्रि और मां दुर्गा की पूजा सफल होगी।

Exit mobile version