महिला आरक्षण बिल को लेकर सदन में आज बुधवार, 20 सितंबर को चर्चा हो रही है। इस चर्चा में सदन के कई नेता बिल को लेकर अपना और अपनी पार्टी का वक्तव्य सामने रख रहे हैं। कांग्रेस से लेकर जेडीयू तक कई विपक्षी दलों ने इस बिल पर अपना समर्थन दिया है। विपक्ष की ओर से चर्चा की शुरुआत करते हुए सोनिया गांधी ने इसे अपने जीवन साथी राजीव गांधी का सपना बताया। साथ ही इस बिल के पारित होने को अपने लिए बहुत भावुक क्षण भी कहा।
आइए विस्तार से जानते हैं महिला आरक्षण बिल पर किस दल के नेता ने क्या कहा…
कांग्रेस पार्टी की नेता सोनिया गांधी ने अपने पति और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को याद करते हुए कहा कि उनके पति राजीव गांधी ने पहली बार स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रस्ताव रखा था, लेकिन इसे राज्यसभा में हरा दिया गया था। बाद में, पीवी नरसिम्हा राव की सरकार ने इसे राज्यसभा में पारित करवाया और आज देश में 15 लाख निर्वाचित महिला नेता हैं। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी का सपना अब आंशिक रूप से ही पूरा हुआ है और इस बिल के पारित होने से यह पूरा हो जाएगा।
हरियाणा के सिरसा से बीजेपी सांसद सुनीता दुग्गल ने कहा कि यह विधेयक लाने का साहस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही कर सकते थे। दुग्गल ने कहा कि ‘मेरी माताजी भी अस्पताल में भर्ती हैं, वह मुझे महिलाओं के हक की आवाज उठाते देख रही होंगी। तो वहीं शिवसेना सांसद भावना गवली ने कहा कि मोदी जी ने महिलाओं की किस्मत का ताला खोल दिया। यह बिल लाने की हिम्मत पीएम मोदी के अलावा किसी में नहीं थी।
बहुजन समाज पार्टी (BSP) की ओर से सांसद संगीता आजाद ने महिला आरक्षण विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि उनकी पार्टी लंबे समय से इसकी मांग कर रही थी। उन्होंने डॉ भीमराव अम्बेडकर और कांशीराम का नाम लेकर कहा कि उन्हीं की बदौलत हमें लोकसभा और राज्य की विधानसभाओं में जाने का मौका मिला।
जनता दल (यूनाइटेड) के सांसद राजीव रंजन सिंह (ललन) ने कहा कि हम बिल का समर्थन करते हैं लेकिन यह I.N.D.I.A के गठन के जवाब में पैनिक होकर उठाया गया कदम है। सिंह ने कहा कि बिहार से सीखिए, हमने सरकार बनाने के बाद बिहार में महिलाओं को आरक्षण दिया। आपको महिला सशक्तिकरण से कोई मतलब नहीं है।
YSR कांग्रेस पार्टी की ओर से आंध्र प्रदेश के काकीनाडा से सांसद गीता विश्वनाथ वंगा बोलने खड़ी हुईं। उन्होंने ‘भारत माता की जय‘ का नारा लगाया और पारंपरिक ढंग से सभी को नमस्कार किया। इसके बाद उन्होंने ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः‘ भी पढ़ा।
ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (AITC) की सांसद डॉ काकोली घोष ने कहा कि अगर आपको महिलाओं की इतनी ही चिंता थी तो इतने समय बाद बिल क्यों लाए? चुनाव से ठीक पहले महिला आरक्षण बिल लाना आपकी नीयत पर शक पैदा करता है। मुझे आप पर विश्वास नहीं। उन्होंने एनडीए सरकार के कार्यकाल में महिलाओं पर अत्याचार की घटनाएं गिनाईं। उन्होंने पूछा कि पहलवानों के यौन शोषण मामले में बृजभूषण शरण सिंह पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
डीएमके की ओर से एमके कनिमोझी ने कहा– क्या महिलाएं मजबूत नहीं हो सकतीं? क्या महिलाओं ने युद्ध नहीं लड़े और जीते? क्या इंदिरा गांधी जैसी मजबूत नेता इस देश में नहीं हुईं? बीजेपी सांसदों के नारेबाजी करने पर कनिमोझी ने कहा कि जयललिता भी बड़ी मजबूत नेता थीं। उन्होंने सोनिया गांधी, मायावती, ममता बनर्जी और सुषमा स्वराज का भी नाम लिया।
केंद्रीय राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा,”महिला आरक्षण समय की जरूरत है। सरकार महिलाओं के नेतृत्व की बात करती है।” हमारे पिछड़े वंचित समाज से आने वाली महिलाओं के अधिकारों को संरक्षित करने के लिए पीएम मोदी जरूर कोई काम करेंगे।
महिला आरक्षण बिल पर समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव ने कहा कि क्रांति के बिना विकास संभव नहीं है। हमारे देश में विकास हो, इसके लिए यह बहुत जरूरी है कि ओबीसी, एससी और अल्पसंख्यक वर्ग की महिलाओं को आरक्षण मिले। उन्होंने कहा कि सवाल ये है कि परिसीमन कब होगा और जातिगत जनगणना कब होगी।
एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने कहा,”निशिकांत दुबे ने कहा कि विपक्ष उन लोगों के पक्ष में है जो महिलाओं को नीचा दिखाते थे और अपमानजनक बातें करते थे। महाराष्ट्र में बीजेपी के एक प्रमुख थे। उन्होंने मुझे व्यक्तिगत रूप से टेलीविजन पर ऑन रिकॉर्ड कहा कि सुप्रिया सुले घर जाओ, खाना बनाओ, देश कोई और चला लेगा। यही बीजेपी की मानसिकता है।
गौरतलब है कि आज संसद के विशेष सत्र का तीसरा दिन है। और इस बिल को लेकर ज़ोरदार बहस जारी है। सत्ता पक्ष के पास अंकगणित के हिसाब से ज्यादा संख्या बल है तो वहीं विपक्ष का समर्थन भी है। ऐसे में बहुत संभव है कि ये बिल लोकसभा से जल्द ही पारित हो जाएगा।