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प्रियंका गांधी यूपी में भारत जोड़ो न्याय यात्रा से हुईं दूर, जानिए कारण!

कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा इस वक्त देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में पहुंच चुकी है। हालांकि उत्तर प्रदेश में इसका बेसब्री से इंतजार कर रहीं प्रियंका गांंधी फिलहाल इस यात्रा में शामिल नहीं हो पाएंगी। प्रियंका ने खुद इसमें शामिल न होने की जानकारी दी है।

प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, “मैं बड़े चाव से उत्तर प्रदेश में ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के पहुंचने का इंतजार कर रही थी, लेकिन बीमारी की वजह से मुझे आज ही अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। स्वास्थ्य थोड़ा बेहतर होते ही मैं यात्रा में शामिल होउंगी। तब तक के लिए मैं, चंदौलीबनारस पहुंच रहे सभी यात्रियों, पूरी मेहनत से यात्रा की तैयारी में लगे उत्तर प्रदेश के मेरे सहयोगियों और प्यारे भाई को शुभकामनाएं देती हूं।

रायबरेली और अमेठी के लिए प्रचार

बता दें कि प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश में काफी सक्रिय रहती हैं। और बीते कई चुनावों में उन्हें अपने गढ़ रायबरेली और अमेठी के लिए प्रचार भी करते देखा गया है। हाल ही में सोनिया गांधी ने रायबरेली से लोकसभा चुनाव न लड़ने का ऐलान किया। जिसके बाद कयास तेज़ हैं कि कांग्रेस की इस पारंपरिक सीट से अब प्रियंका गांधी मैदान में उतर सकती हैं। हालांकि अभी इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहींं हुई है।

प्रियंका गांधी को यूपी की जनता इंदिरा गांधी के उत्तराधिकारी के तौर पर देखती है। कई चुनावों में उनकी तुलना इंदिरा गांधी से भी की जाती रही है। लेकिन प्रियंका ज्यादातर समय राजनीति की सक्रियता से दूर ही रही हैं। बीते अक्टूबर उन्होंने कांग्रेस महासचिव पद से भी इस्तीफा दे दिया था। हालांकि इसके पीछे का असल कारण किसी को नहीं पता।

उत्तर प्रदेश में बहुत अहम रोल

प्रियंका गांधी कांग्रेस के लिए उत्तर प्रदेश में बहुत अहमियत रखती हैं। उन्होंने ही यहां के बीते विधानसभा चुनाव में बड़ी भूमिका निभाई थी। ये अलग बात रही कि पार्टी को इससे फायदा कुछ नहीं हुआ। लेकिन जानकारों की मानें तो यूपी की जनता अभी भी यहां गांधी परिवार में किसी पर सबसे ज्यादा भरोसा करती है, तो वो प्रियंका गांधी ही हैं।

आपको याद हो कि प्रियंका गांधी ने साल 2018 में उत्तर प्रदेश की राजनीति में कदम रखा था। इससे पहले वह सिर्फ़ अमेठी और रायबरेली तक ही सीमित थीं। इसके बाद जनवरी 2019 में उन्हें पूर्वी यूपी का प्रभारी बनाया गया। लेकिन पश्चिमी यूपी के प्रभारी ज्योतिरादित्य सिंधिया के जाने के बाद प्रियंका गांधी को सितंबर 2020 में पूरे राज्य का प्रभारी बना दिया गया था। ज़िम्मेदारी संभालने के बाद यूपी में प्रियंका गांधी पार्टी का आक्रामक चेहराबनकर उभरीं।

प्रियंका की यूपी से दूरी

किसान आंदोलन के पीड़ितों से मिलने से लेकर हाथरस कांड कर वो हर जगह दिखाई दीं। उन्होंने राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार पर जमकर निशाने साधे। महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा को लेकर सवाल पूछे। बीते विधानसभा चुनाव में लड़की हूं, लड़ सकती हूंका नारा दिया। लेकिन प्रियंका का ये फार्मूला नहीं चला और 403 सीटों वाली विधानसभा में केवल दो सीटों तक सिमट कर रह गई, जो पार्टी का राज्य में अब तक का सबसे बुरा प्रदर्शन था। इसके बाद से प्रियंका यूपी से दूरी बनाती नज़र आईं।

हालांकि लोकसभा चुनाव के दौरान सब एक बार फिर प्रियंका की वापसी की आस लगाए बैठे हैं। ये भी हो सकता है कि कयास सही निकले और वो अपनी सोनिया गांधी की जगह रायबरेली से चुनावी मैदान में उतरें। लेकिन ये चुनाव अब इतना आसान भी नहीं होने जा रहा। क्योंकि इस इंडिया गठबंधन को बीजेपी को रोकने के लिए बनाया गया था। उसके पत्ते एक एक कर अब खुद ही बिखरने की कगार पर हैं। ऐसे में प्रियंका गांधी पर कांग्रेस एक बार फिर दांव खेलेगी या उन्हें मैदान में ही नहीं उतारा जाएगा। ये देखना दिलचस्प होगा।

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