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यूपी: वर्किंग वुमेन हॉस्टल से महिलाओं के लिए काम करना होगा और आसान

In this photograph taken on September 7, 2016, an Indian woman works at a call center of TravelKhana in Noida. Passengers on India's vast railway network have long complained of the terrible food on offer to sustain them on long journeys, but now all that is changing thanks to a slew of new services bringing fast food to your seat. / AFP / CHANDAN KHANNA / TO GO WITH AFP STORY: 'India-Lifestyle-Transport-Food', FEATURE by Bhuvan BAGGA (Photo credit should read CHANDAN KHANNA/AFP via Getty Images)

श्वेता आजमगढ़ के एक छोटे से गांव से आती है। उसने अपनी पढ़ाई बनारस हिंदू विश्वविद्यालय यानी बीएचयू से पूरी की है। वो एक साइंस ग्रेजुएट है और अब लखनऊ जाकर नौकरी करना चाहती है। उसे कुछ कंपनियों के ऑफर भी मिले हैं, लेकिन समस्या इतने बड़े शहर में रहने की है। अब तक श्वेता का परिवार उसे पढ़ाई के लिए बाहर रहने दे रहा था क्योंकि वो बीएचयू के हॉस्टल में रहती थी। लेकिन अब वो कहां और कैसे रहेगी?

ये सवाल सिर्फ श्वेता के लिए नहीं बल्कि हर आम लड़की के लिए जरूरी है। क्योंकि गांव के परिदृश्य से निकली लड़कियों के मांबाप भी इतने पैसे वाले या इतने आज़ाद ख्याल के नहीं होते कि वो लड़कियों के जीवन के सारे फैसले उन पर ही छोड़ दें। ऐसे में कई बार लड़कियां पढ़लिख कर भी बहुत कुछ नहीं कर पातीं। वहीं आज के दौर में महिलाओं के खिलाफ अपराध को भी कोई नहीं नकार सकता। इसलिए नौकरी मिलने से ज्यादा दिक्कत लड़कियों के रहने और सुरक्षित रहने की है।

कई तरह के बंधन जल्दी आज़ाद नहीं होने देते

आज के दौर में हर कोई काम करना चाहता है। फिर वो पुरुष हो या महिलाएं। हमारे समाज में अक्सर देखा जाता है कि महिलाएं पढ़लिख भी जाएं तो, नौकरी उनके लिए आसान नहीं होती। क्योंकि जब बारी काम करने की आती है, तो उनके अंदर एक अलग ही झिझक होती है। और यदि अपने घर से दूर रहकर ये काम करना हो, तो परिवार और कई तरह के बंधन उसे जल्दी आज़ाद नहीं होने देते।

महिलाओं के लिए बाहर रहकर नौकरी करना बिल्कुल भी आसान नहीं है। क्योंकि कई बार अकेली महिला को कई किराए पर मकान नहीं देता। तो कभी जहां वो रह रही होती है, वहां सुरक्षित नहीं महसूस करती। ऐसे में कई बातें और डर उसके कदम पीछे खींच लेते हैं। एक वर्किंग वुमेन जितनी सशक्त आपको दिखती है, वो अंदर से उतनी ही परेशान भी होती है।

कई बड़े मेट्रो शहरों में वर्किंग वुमेन हॉस्टल का कॉन्सेप्ट सामने आया है, जो कि महिलाओं के लिए एक बड़ी राहत है। क्योंकि पेन गेस्ट, किराए पर कमरा या कोई और जुगाड़ अक्सर उन पर भारी पड़ जाता है, इसलिए सबसे बेहतर सरकारी छात्रावास ही माना जाता है। यहां उन्हें सुरक्षा की चिंता से तो मुक्ति मिलती ही है, साथ ही ये आवास किफायती भी होते हैं।

वर्किंग वुमेन हॉस्टलबनाने की योजना

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने भी महिलाओं की इन जरूरतों को समझते हुए वर्किंग वुमेन हॉस्टलबनाने की योजना बनाई है। ये शहर की प्रमुख जगहों पर बनाया जाएगा। साथ ही, इनमें रहने वाली महिलाओं से निजी छात्रावास की अपेक्षा कम किराया लिया जाएगा। ये पूरी योजना नगर विकास विभाग के जिम्मे है। जिसमें करोड़ों की लागत लगनी है।

ध्यान रहे कि बीते साल केंद्र सरकार ने आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) की रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक यूपी की कुल महिला आबादी में से अब 32.10 प्रतिशत कामकाजी हैं। साल 2017-18 में यह प्रतिशत 14.20 फीसदी ही था। आंकड़ों की मानें तो 2017-18 में राष्ट्रीय स्तर पर महिला श्रम शक्ति की भागीदारी 25.30 प्रतिशत थी। यानी यूपी से 11.10 प्रतिशत अधिक। लेकिन 2022-23 के आंकड़ों के हिसाब से यह अंतर 7.70 प्रतिशत का बचा है।

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जाहिर है महिलाएं अब आगे बढ़ना चाहती है। आत्मनिर्भर बनना चाहती हैं, जिसमें सरकार एक सकारात्मक भूमिका निभा सकती है। ये मदद हॉस्टल की सुविधाओं से लेकर सुरक्षित माहौल प्रदान करने तक कई स्तर पर हो सकती हैं। क्योंकि सबसे बड़ा डर महिलाओं के लिए सुरक्षा ही है। ऐसे में उत्तर प्रदेश की सरकार के इस कदम से निश्चित ही महिलाओं को एक उम्मीद तो मिलेगी ही। उनके कदम भी नौकरी की ओर आगे बढ़ेंगे।

image credit- Getty images

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