IAS वंदना सिंह चौहान के खिलाफ सोशल मीडिया पर क्या ट्रेंड कर रहा है?

उत्तराखंड में नैनीताल की डीएम आईएएस वंदना सिंह चौहान का नाम सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर खूब ट्रेंड कर रहा है। बीते दिनों हल्द्वानी में भड़की हिंसा को लेकर उन्हें अरेस्ट करने की मांग #AreestVandanaSingh एक्स पर टॉप ट्रेंड में बना हुआ है। वंदना सिंह को उत्तराखंड के तेजतर्रार प्रशासनिक अधिकारी में माना जाता है। लेकिन उनके खिलाफ ये अभियान कई सवाल भी खड़े कर रहा है।

आपको बता दें कि उत्तराखंड के हल्द्वानी में 8 फरवरी को एक कथित अवैध मदरसे और पास की मस्जिद तोड़ने के बाद जो हिंसा भड़की थी, उसमें चार लोगों की मौत और सैकड़ों के घायल होने की खबर सामने आई थी। घायलों में ज्यादातर पुलिसकर्मी थे। इसके बाद नैनीताल की जिलाधिकारी वंदना सिंह ने हिंसाग्रस्त इलाकों का मुआयना कर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की।

मस्जिद गिराने और हिंसा भड़काने के लिए टारगेट

अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान वंदना सिंह ने कहा था कि उपद्रवियों ने प्रशासन की टीम को निशाना बनाया। ये लोग प्रशासनिक अधिकारियों को जलाकर मारना चाहते थे। वंदना सिंह ने स्पष्ट तौर पर कहा कि यह हमला कानून व्यवस्था की स्थिति पर हमला है। इस प्रेस वार्ता में उनके सधे अंदाज और साफगोई ने सुर्खियां भी बटोरीं। लेकिन अब एक पक्ष उन्हें मस्जिद गिराने और हिंसा भड़काने के लिए टारगेट करता भी नज़र आ रहा है।

मालूम हो कि वंदना सिंह चौहान हरियाणा के नसरुल्लागढ़ गांव की रहने वाली हैं। वंदना के बारे में बताया जाता है कि उन्होंने घर में ही रहकर सिविल सेवा की तैयारी की। वंदना ने साल 2012 में पहले प्रयास में ही प्रीलिम्स और फिर मेंस की परीक्षा पास कर ली थी। उन्होंने इंटरव्यू में भी बेहतर प्रदर्शन करते हुए ऑल इंडिया 8वीं रैंक प्राप्त की और IAS अधिकारी बन गई।

आईएएस वंदना सिंह चौहान के करियर को देखें, तो वे उत्तराखंड कैडर से हैं। पिथौरागढ़ की मुख्य विकास अधिकारी के तौर पर उनकी पहली नियुक्ति हुई थी। इसके बाद साल 2017 में वे जिले की पहली महिला सीडीओ बनी। यहां उनके कार्य को काफी सराहा भी गया। वो 2020 तक पिथौरागढ़ में ही रहीं। इस दौरान उन्हें बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की ब्रांड एंबेसडर भी बनाया गया।

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नैनीताल की 48वीं डीएम बनीं वंदना सिंह चौहान

साल 2020 में उन्हें पहली बार रुद्रप्रयाग का डीएम बनाया गया। कुछ ही दिनों के बाद उन्हें शासन के कार्मिक विभाग में अटैच किया गया। इसके बाद 12 नवंबर को 2020 को वंदना सिंह को केएमवीएन का एमडी बनाया गया। इस पद पर नियुक्ति न लेने के बाद उन्हें रूरल डेवलपमेंट डिपार्टमेंट में अपर सचिव बनाया गया। वर्ष 2021 में उन्हें अल्मोड़ा का जिलाधिकारी बनाया गया था। 17 मई 2023 को नैनीताल की 48वीं डीएम के पद पर तैनाती के बाद वे इस पद पर बनी हुई है।

हालांकि वंदना का ये सफर बिल्कुल भी आसान नहीं था। उनके परिवार पर रिश्तेदारों और आसपास के लोगों द्वारा बेटी को अधिक पढ़ाने को लेकर कई शिकायतें की गईं। विवाद हुए और फिर वंदना को उनके पिता ने मुरादाबाद स्थित गुरुकुल में भेज दिया, जहां से उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की।

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रूढ़िवादी परिस्थितियों का सामना करने के बाद भी नहीं टूटी

कई मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का भी जिक्र है कि वंदना ने स्कूली शिक्षा पूरी होने के बाद आगरा के डॉ. बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय में LLB में दाखिला लिया। लेकिन यहां उन्हें परिवार के अधिक सहयोग नहीं मिला। और इसलिए उन्होंने घर में ही रहकर पढ़ना शुरू किया। वह किताबों को ऑनलाइन ऑर्डर किया करती थी या फिर अपने भाई को किताबें लाने के लिए भेजती थी। इस तरह से उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की। और फिर सिविल सेवाओं में जाने का मन बना लिया।

वंदना ने बिना किसी कोचिंग के अपनी तैयारी घर पर ही रहते हुए की। और आज वो हजारो आईएएस बनने का सपना देखने वाली लड़कियों के लिए प्रेरणा हैं। एक ऐसी लड़की जो तमाम रूढ़िवादी परिस्थितियों का सामना करने के बाद भी नहीं टूटी और अपने सपने को पूरा किया। वंदना सिंह चौहान का जज्बा उनके काम में भी बखूबी दिखता है और यही वजह थी कि हल्द्वानी मामले में उनकी जांच खबरों में रहीं।

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