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कृति सेनन को मिला बेस्ट एक्ट्रेस का नेशनल अवार्ड, जानें मिमी की कहानी

कृति सेनन को जिस फिल्म के लिए नेशनल अवार्ड मिला है, उसका नाम मिमी है। इस फिल्म की कहानी सेरोगेसी पर आधारित है। सेरोगेसी को किराये की कोख भी कहा जाता है। आसान भाषा में समझें तो जब कोई भी कपल किन्हीं वजहों से बच्चा पैदा करने में असमर्थ होता है तो वह किसी और की कोख को किराये पर लेकर संतान का सुख इस तरीके से पा सकता है। ऐसे में जो औरत अपनी कोख में दूसरों का बच्चा पालती, वो सेरोगेट मदर कहलाती है और वही इस बच्चे को जनती है।

इस फिल्म में एक विदेशी कपल अपने बच्चे के लिए सेरोगेट मदर ढूंढ रहा होता है, जो यंग और हेल्दी हो। कृति इस बच्चे की सेरोगेट मदर बनने के लिए तैयार हो जाती हैं क्योंकि उन्हें पैसों की जरूरत होती है। कृति यानी मिमी का सपना होता है कि वह मुंबई जाकर एक्ट्रेस बने।

फिल्म की कहानी आगे बढ़ती है और पहले सब कुछ सही चल रहा होता है। लेकिन एक दिन अचानक विदेशी कपल को पता चलता है कि मिमी का बच्चा मानसिक बीमार है जिसके बाद वह बच्चा लेने से मना कर देते हैं। इसके बाद मिमी के जीवन का असल संघर्ष शुरू होता है।

जैसे तैसे मिमी बच्चे को जन्म देती है और फिर विदेशी कपल कुछ सालों बाद वापस आकर मिमी से बच्चे को लेने की कोशिश करने लगता है। हालांकि तब तक बच्चे और मिमी में इतना प्यार का रिश्ता बन जाता है कि विदेशी कपल इसे देख कर बिना बच्चा लिए ही वापस जाने का फैसला करता है।

सोशल मुद्दे पर बनी फिल्म

फिल्म मिमी में एक ऐसे सोशल मुद्दे को उठाया गया था। जो अमूमन कुछ समय पहले तक कई गरीब परिवारों की सच्चाई थी। यहां विदेश खासकर पश्चिमी देशों से आकर लोग सरोगेट मदर ढूंढ़ते थे और फिर बीमारी या किसी अन्य वजह से कई बार उन्हें यहीं छोड़ जाते थे। कई महिलाएं इससे बहुत प्रभावित होती थीं। उनका स्वास्थ्य कई बार इसकी इजाज़त नहीं देता था। फिर भी वो पैसों के लिए सेरोगेसी को तैयार हो जाती थीँ।

गौरतलब है कि हमारे देश में सेरोगेसी की कहानी बहुत पहले से चली आ रही है। लेकिन इस पर पहली बार विवाद तब हुआ जब साल 2008 में सुप्रीम कोर्ट के पास बेबी मांजी यामादा वर्सेज यूनियन ऑफ इंडिया का केस सामने आया। इस केस ने पूरे देश में सेरोगेसी पर एक नई बहस छेड़ दी। जिसके बाद 2009 में लॉ कमीशन ऑफ इंडिया सामने आया और कमर्शियल सेरोगेसी को बंद करने की सलाह दी।

मर्शियल सेरोगेसी को बंद करने की सलाह

इस केस में जापान से आए एक दंपति ने भारत में सेरोगेसी के तहत बच्चा पैदा करने के लिए एक भारतीय महिला की कोख किराये पर ली थी। लेकिन बच्चे के जन्म लेने से पहले ही दोनों जापानी दंपति में मतभेद हो गया था। जिसके बाद बच्चे का पिता इकुफुमी यामादा बच्चे को अपने साथ ले जाना चाहता था लेकिन उस समय कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था। जापान के कानून में भी इसे लेकर कुछ स्पष्ट नहीं था। इस तरह पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट तक चला गया और आखिर में कोर्ट ने बच्चे को दादी के साथ जापान जाने की मंजूरी दे दी।

इसमें कोई दो राय नहीं कि बीते लंबे समय से लोग पैसे के दम पर आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं की कोख का दुरुपयोग करते रहे हैं। तो वहीं दूसरी ओर ये पैसा कमाने का जरिया भी बन गया था। इसलिए भारत की मौजूदा सरकार ने इसे लेकर एक बिल भी साल 2019 में पास किया था। जिसमें कॉमर्शियल सेरोगेसी पर प्रतिबंध लगाने सहित कई जरूरी बातें शामिल की गई थीं।

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