इमली (Imlie) फेम सुंबुल तौकीर खान (Sumbul Touqeer Khan ) एक बार फिर पर्दे पर अपने दमदार शो काव्या (Kavya- Ek Jazbaa, Ek Junoon) के साथ लौटी हैं। काव्या में वो एक आईएएस अफसर की भूमिका में नज़र आ रही हैं। जिसे अपने सपने के लिए बहुत कुछ पीछे छोड़ना पड़ता है। हर घड़ी एक नए इम्तिहान से गुजरना पड़ता है। और इन सारी मुसीबतों की जड़ कोई और नहीं बल्कि वही इंसान है, जो काव्या से कभी प्यार का दावा करता था।
वो कहता है, “मैं तुम्हारे साथ तो चल सकता हूं, लेकिन पीछे नहीं।” इस डायलॉग का संदर्भ कुछ ऐसा है कि काव्या तो आईएएस परीक्षा क्रैक कर लेती हैं, लेकिन उन्हीं के साथ तैयारी कर रहे उनके मंगेतर शुभम इस परीक्षा को पास नहीं कर पाते और वो काव्या को कहते हैं कि तुम एक साल की ईओएल यानी एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी लीव ले लो। फिर हम साथ में ट्रेनिंग के लिए अकादमी जाएंगे। यहां जब काव्या इस बात से साफ इंकार कर देती है, तो शुभम उससे रिश्ते से भी इंकार कर देता है।
दरअसल, इस कहानी की पृष्ठभूमि हमारा पितृसत्तात्मक समाज है जो हमेशा से लड़कियों का आगे बढ़ना, मर्द से ऊंचे ओहदे पर बैठना, एंबिशियस या महत्वाकांक्षी होना अच्छा नहीं माना जाता। जो लड़कियां ऐसा करती हैं, उन्हें घर तोड़ने वाली से लेकर सेलफिश, खुदगर्ज, चुडैल और डायन न जाने क्या–क्या कहा जाता है। जैसे रिश्ता निभाने के लिए सारे बलिदान का ठेका सिर्फ लड़कियों ने ले रखा है।
एक घर में पति अपनी पत्नी पर रौब दिखा सकता है, रात–रात भर बाहर काम कर सकता है, अकेले घूमने फिरने से लेकर मौज–मस्ती सब कर सकता है। लेकिन कुछ ऐसा ही बीवी करने की कोशिश करे तो उसे अनेकों ताने और गालियां खानी पड़ती हैं। उसे समाज में कई तरह के टैग दे दिए जाते हैं। जैसे शादी के बाद सारी जिम्मेदारियां उसी की हैं।
इस शो के प्रमोज और शुरुआती कहानी से अब तक यही समझ में आ रहा है कि काव्या और शुभम दोनों आईएएस एस्पिरेंट्स हैं, साथ में रहते और पढ़ाई करते हैं, लेकिन काव्या की तरक्की और अपनी नाकामी दोनों शुभम के अंदर का मर्द पचा नहीं पाता और वो काव्या की जिंदगी को बर्बाद करने की ठान लेता है। यहां काव्या प्यार और करियर दोनों चाहती हैं। वो शुभम को बहुत प्यार करती है, लेकिन अपनी खुशी में उसे भी खुश होता देखना चाहती है। वो चाहती है कि शुभम का साथ भी मिले और उसे उसकी जिंदगी की आज़ादी भी।
ये शो निश्चित तौर पर डेली सास–बहु ड्रामा से हटकर एक नया टॉपिक लेकर आया है। इसे आप शो से आगे भी बढ़कर समझ सकते हैं। ये एक तरह से हमारे ही समाज का आईना है, जहां हर समय लड़की को बलि का बकरा बनाकर बलिदान की महामूरत बना दिया जाता है। काव्या की कहानी हमारे देश की कई लड़कियों की कहानी है, जो अपने रिश्ते और सपने के बीच किसी एक को चुनने के लिए मजबूर होती हैं।