Viral Nari

विनेश फोगाट का खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार लौटाना दुखद क्यों है?

विनेश फोगाट भारतीय पहलवानी का एक जानामाना नाम हैं। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से विश्व कुश्ती प्रतिस्पर्धाओं में भारत के लिए कई मेडल जीते हैं। एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीत चुकीं विनेश बीते साल जनवरी के महीने से ही सुर्खियों में हैं। वो जंतरमंतर पर भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरने पर बैठने वाले पहलवानों में से एक थीं। जिन्होंने बीजेपी नेता और सांसद बृजभूषण पर कुश्ती संघ को मनमानी से चलाने और यौन शोषण सहित कई गंभीर आरोप लगाए थे।

विनेश फोगाट ने बीते शनिवार, 30 दिसंबर को मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार दिल्ली के कर्तव्य पथ पर रख दिए। इससे पहले उन्होंने प्रधानमंत्री के नाम एक खुला ख़त लिखकर इन पुरस्कारों को लौटाने की बात कही थी। अपने खत में विनेश ने कहा था कि वो मेडल लौटा देंगी, क्योंकि इन पुरस्कारों का उनकी ज़िदगी में अब कोई मतलब नहीं रह गया है। विनेश फोगाट को 2020 में देश का सर्वोच्च खेल सम्मान खेल रत्न और 2016 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

साक्षी मलिक का संन्यास, बजरंग पुनिया ने लौटाया पद्मश्री

आपको बता दें कि हाल ही में पहलवान साक्षी मलिक ने खेल से संन्यास लेने की घोषणा की थी और पहलवान बजरंग पुनिया ने भी उन्हें मिला पद्मश्री पुरस्कार सरकार को लौटा दिया था। बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ हुए विरोध प्रदर्शनों का मुख्य चेहरा विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया ही थे।

ध्यान रहे कि पुरस्कारों को लौटाने का ये सिलसिला दिसंबर 21 को भारतीय कुश्ती संघ के चुनाव संपन्न होने के बाद से जारी है। चुनाव के नतीजे आने के बाज विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया ने आश्चर्य जताया था। उसी दिन आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में साक्षी मलिक ने कुश्ती छोड़ने का ऐलान भी किया था। और इसका सबसे बड़ा कारण था कि इन चुनावों में बृजभूषण शरण सिंह के क़रीबी माने जाने वाले संजय सिंह को चुनाव में जीत मिली थी।

इस चुनाव में पहलवान अनिता श्योरण की हार से भी बहुत लोगों को निराशा हुई, क्योंकि में उनकी उपलब्धियां संजय सिंह से कहीं ज्यादा हैं। वहीं वो पहलवानों के समर्थन से बतौर उम्मीदवार चुनाव लड़ रही थीं। बृजभूषण सिंह के ख़िलाफ़ लगे यौन उत्पीड़न के आरोप में अनिता श्योराण गवाह भी थीं। अनीता श्योराण खुद महिला पहलवान हैं और कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीत चुकी हैं।

विनेश का दर्द बयां करता उनका खत

गौरतलब है कि विनेश फोगाट ने कुश्ती महासंघ के चुनाव होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम लिखे अपने खत में कहा था, “साल 2016 में जब साक्षी ओलंपिक में मेडल जीतकर आई थी तो उसे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का ब्रांड एम्बेसडर बना दिया गया। लेकिन अब उन्हें कुश्ती छोड़नी पड़ रही है। क्या महिला खिलाड़ी सरकार के विज्ञापनों में छपने के लिए ही बनी हैं?”

विनेश आगे लिखती हैं, “हम न्याय के लिए बीते एक साल से सड़कों पर हैं, लेकिन कोई हमारी सुध नहीं ले रहा है. हमने अपने न्याय के लिए आवाज़ उठाई तो हमें देशद्रोही बताया गया। बजरंग ने जिस हालत में अपना पद्मश्री वापस करने का फ़ैसला लिया होगा मुझे नहीं पता, लेकिन मैं उसकी फोटो देखकर अंदर ही अंदर घुट रही हूं। अब मुझे भी अपने पुरस्कारों से घिन आने लगी है।

विनेश के दर्द का इस बात से भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन्होंने अपने खत में खुद लिखा कि मुझे मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार दिया गया था लेकिन अब इसका मेरी ज़िंदगी में कोई मतलब नहीं रह गया है। मैं ये पुरस्कार वापस करना चाहती हूं ताकि सम्मान से जीने की राह में ये पुरस्कार हम पर बोझ न बने।

जाहिर है इस पुरुष वर्चस्ववादी दुनिया में महिलाओं के लिए अपना स्थान बनाना कोई आसान काम नहीं है। हालांकि वो स्थान बनाकर भी अगर अपने खिलाफ हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज़ न उठा सके, अपराधियों को सज़ा न दिला सके, तो ये उन लाखोकरोड़ों महिलाओं के लिए और भी निराशाजनक और दुखद है, जो उन्हें देखकर आगे बढ़ने का सपना देखती हैं।

Exit mobile version