feminism

महिलाओं का फेमिनिस्ट होना ‘बुरा’ क्यों माना जाता है?

अक्सर आप सुनते ही होंगे कि ये फेमेनिस्ट जहां देखो अपना झंडा लेकर चल देती हैं। घर तोड़ना, महिलाओं को भड़काना और उन्हें बहकाना इनका काम है। ताने कई बार ऐसे भी मिलते हैं कि औरतों को काम से बचना हो तो फेमिनिज्म का हथियार मिल जाता है। इन्हें ऐसे तो फेमिनिज्म सुझता है, लेकिन…

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औरतों के ‘घर के काम’ को मुफ्त क्यों समझा जाता है, इसका हिसाब कौन देगा?

“जिस दिन औरतें अपने श्रम का हिसाब मांगेंगी, उस दिन मानव इतिहास की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी चोरी पकड़ी जाएगी।” रोजा लक्जमबर्ग की ये पंक्तियां हमारे समाज की एक गंभीर सच्चाई को उज़ागर करती हैं, जहां महिलाओं के घरेलू श्रम को एकदम से नकार दिया जाता है। पूरा दिन घर के कामों में लगे…

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महिलाएं छुट्टी वाले दिन भी ‘छुट्टी’ पर क्यों नहीं होतीं?

किसी ने सही कहा है कि महिलाएं काम से लौटकर भी काम पर ही लौटती हैं। ये दोहरे काम का संघर्ष महिलाओं को अपने प्रति लापरवाह और असंवेदनशील बनाता जा रहा है। वो रोज़ बिना रुके, बिना थके पूरे घर का तो ध्यान रख लेती है, लेकिन जब बात उसके अपने काम की आती है,…

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