बॉलिवुड में इन दिनों दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) और संदीप रेड्डी वांगा (Sandeep Reddy Vanga) का विवाद सुर्खियों में बना हुआ है. हालांकि, इन दोनों ने सार्वजनिक तौर पर एक-दूसरे का नाम नहीं लिया है, लेकिन मीडिया में इशारे-इशारे की बातों तके हवाले से कई बातें जरूर चल रही है.
विवाद के शुरुआत की बात करें, तो संदीप रेड्डी वांगा की ओर से एक ट्वीट सामने आया, जिसमें उन्होंने अपनी आने वाली फिल्म ‘स्पिरिट’ (Spirit) की कहानी लीक होने पर नाराजगी जताई थी.
‘क्या यही आपका नारीवाद है?’
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ‘जब मैं किसी एक्टर को कहानी सुनाता हूं, तो मैं उस पर 100% भरोसा करता हूं. हमारे बीच एक अनकहा नॉन डिस्क्लोजर एग्रीमेंट होता है. लेकिन ऐसा करके, आपने अपने व्यक्तित्व को दिखा दिया है… एक युवा एक्टर को नीचा दिखाना और मेरी कहानी को बाहर निकालना? क्या यही आपका नारीवाद है?’
उन्होंने आगे कहा, ‘एक फिल्म निर्माता के तौर पर, मैंने अपने क्राफ्ट के पीछे सालों तक कड़ी मेहनत की है और मेरे लिए फिल्म निर्माण ही सब कुछ है. आपको ये नहीं समझ आया. आपको ये समझ नहीं आएगा. ऐसा करो…. अगली बार पूरी कहानी बता देना… क्योंकि मुझे जरा भी फर्क नहीं पड़ता #dirtyPRgames मुझे ये कहावत बहुत पसंद है, खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे!’
When I narrate a story to an actor, I place 100% faith. There is an unsaid NDA(Non Disclosure Agreement) between us. But by doing this, You’ve ‘DISCLOSED’ the person that you are….
Putting down a Younger actor and ousting my story? Is this what your feminism stands for ? As a…— Sandeep Reddy Vanga (@imvangasandeep) May 26, 2025
हालांकि, संदीप रेड्डी वांगा ने अपनी पोस्ट में किसी एक्टर का नाम नहीं लिया, लेकिन उनके शब्दों और सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रियाओं से ये साफ है कि ये पोस्ट दीपिका पादुकोण के लिए थी. क्योंकि हाल ही में उन्होंने अपनी इस फिल्म के लिए दीपिका को तृप्ति डिमरी से रिप्लेस किया था.
काम के घंटे निर्धारित करने की मांग
अब इस बात चर्चा है कि दीपिका ये फिल्म इसलिए छोड़ी क्योंकि उन्होंंने शर्त रखी थी कि वो एक दिन में 8 घंटे से ज्यादा शूटिंग नहीं करेंगी. यानी उन्होंने अपने काम के घंटे निर्धारित करने की मांग की थी.
दीपिका का सपोर्ट ‘मां’ फिल्म के प्रमोशन पर पहुंचे अजय देवगन और काजोल ने भी किया और शायद वो सभी करेंगे, जो एक प्रगतिशील सोच रखते हैं. ये सच्चाई है कि फिल्में बहुत मेहनत से बनती हैं, उसमें निर्माता-निदेशक और एक्टर्स के अलावा भी बहुत लोगों की कई महीनों की मेहनत शामिल होती है. लेकिन एक सच्चाई ये भी है कि यहां काम के नाम पर शोषण बहुत होता है. अक्सर शिकायतें सामने आती हैं कि कई-कई दिन बिना सोए एक्टर काम करते हैं. ऐसे में उनके परिवार और काम के बैलेंस की बात तो आप भूल ही जाइए.
दीपिका कई बड़े अवसरों पर महिलाओं के हक़ की बात भी करती आई हैं
शायद आपको May Day आंदोलन की कहानी याद ही होगी, ये इन्हीं काम के घंटोंं को सुनिश्चित करने के लिए किया गया था. खैर, इस वक्त बात दीपिका के नारीवाद की करें, तो आपको बता ही है, दीपिका उन लोगोंं में से हैं, जो हमेशा अपने मन की सुन कर चलती हैं. उन्हें इसके लिए सत्ता से लोहा लेने से भी डर नहीं लगता. दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में उनका अचानक पहुंचना आपको याद ही होगा.
दीपिका ने डिप्रेशन, मेंटल हैल्थ जैसे मुद्दों पर हमेशा अपनी बात खुलकर रखी है. वे देश-विदेश के कई बड़े अवसरों पर महिलाओं के हक़ की बात भी करती आई हैं. छपाक जैसी फिल्मों से उन्होंने इसे पर्दे पर भी उकेरने की कोशिश की है. पितृसत्ता और सत्ता दोनों से लोहा लेतीं दीपिका निर्माता वांगा के समझ से परे हैं, ये तो बड़े आसानी से कहा जा सकता है.