पूरे देश में इस वक्त लोकसभा चुनावों की तैयारी ज़ोर–शोर से चल रही है। पार्टियां अपने उम्मीदवारों की लिस्ट में व्यस्त हैं, तो वहीं नेता जनता को लुभाने में। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तो गुजरात से लेकर बंगाल हर जगह चुनाव का पारा चढ़ा हुआ है। देश की सियासत में अहम रोल अदा करने वाले महाराष्ट्र पर भी इस बार सबकी नज़र है। और यही कारण है कि जब शरद पवार ने महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस शरदचंद्र पवार पार्टी के पहले कैंडिडेट के नाम का ऐलान किया, तो वह खबर राष्ट्रीय सुर्खी बन गई।
महाविकास अघाड़ी (MVA) की ओर से आयोजित पुणे की एक सभा में शनिवार, 9 मार्च को शरद पवार ने ऐलान किया कि उनकी बेटी सांसद सुप्रिया सुले को बारामती लोकसभा सीट से ही चुनाव लड़ेंगी। आपको बता दें कि इसी बारामती सीट से अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा के चुनाव लड़ने की भी अटकलें हैं। अजित ने खुद 18 फरवरी को एक जनसभा में बहन सुप्रिया सुले के खिलाफ पत्नी सुनेत्रा को उतारने का संकेत दिया था।
बारामती शरद पवार और उनकी बेटी सुप्रिया सुले का गढ़
ध्यान रहे कि बारामती लोकसभा क्षेत्र परंपरागत रूप से शरद पवार और उनकी बेटी सुप्रिया सुले का गढ़ रहा है। शरद पवार यहां से 6 बार सांसद रहे हैं और उसके बाद उनकी बेटी सुप्रिया सुले लगातार 3 बार से यहां से लोकसभा सांसद हैं। एक बार शरद पवार के भतीजे अजित पवार भी इसी सीट से सांसद बन चुके हैं। ऐसे में ये मुकाबला दिलचस्प होने की पूरी उम्मीद है।
जैसा कि सब जानते ही हैं कि अजित पवार बीते साल 2 जुलाई 2023 को NCP के आठ विधायकों के साथ बीजेपी–शिवसेना (एकनाथ शिंदे) के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार में शामिल हो गए थे। इसी दिन शिंदे सरकार में अजित ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। और इसके बाद NCP दो धड़ों में बट गई थी। एक गुट अजित पवार और दूसरा शरद पवार का हो गया था।
आमतौर पर शांत और दांवपेच की राजनीति से दूर रहने वाली सुप्रिया सुले को इस दौरान आक्रामक होते हुए भी देखा गया। उनके लिए ये सियासी करियर में पहली बार है जब वह पिता के साथ एनसीपी को और मजबूत बनाते हुए पार्टी पर पूरा शिकंजा कस सकती हैं लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो उनके एनसीपी के बने रहने और सियासी तौर पर उनके अपने अस्तित्व पर बड़ा सवालिया निशान लग सकता है।
सुप्रिया सुले लोगों के बीच भी अधिक पॉपुलर हैं
गौरतलब है कि सुप्रिया सुले के राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 2006 से हुई जब उन्हें एनसीपी ने राज्यसभा सांसद बनाया। साल 2009 में वो पहली बार बारामती पश्चिम से लोकसभा चुनाव जीत कर संसद पहुंची और फिर लागातार यहां सासंद चुनी जाती रहीं। सुप्रिया सुले लोगों के बीच भी अधिक पॉपुलर हैं। उन्होंने एनसीपी की विचारधारा से अलग ना कोई बयान दिया है और ना ही कभी कोई क़दम उठाया है।
उनके प्रारंभिक जीवन की बात करें तो सुप्रिया का जन्म 30 जून 1969 को पुणे में हुआ था। उन्हें बचपन से ही अपने फैसले खुद लेने की आजादी मिली। परिवार की ओर से कभी कोई दबाव नहीं बनाया गया, चाहे वह शिक्षा हो या शादी का मामला। सुप्रिया सुले ने पुणे के सेंट कोलंबस स्कूल से 12वीं तक पढ़ाई की और उसके बाद यहीं के एक कॉलेज से माइक्रोबायोलॉजी में बीएससी किया। ऐसा कहा जाता है कि कॉलेज में पढ़ने के दौरान उनकी चार–पांच सहेलियां ही थीं। जब वे कॉलेज में पढ़ रही थीं, तब उनके पिता शरद पवार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे। मुख्यमंत्री की बेटी होकर भी सुप्रिया सरकारी बस से ही कॉलेज जाती थीं। उन्हें घर से प्रतिदिन दस रुपए पॉकेट मनी मिलती थी।
सुप्रिया सुले का पारिवारिक जीवन
सुप्रिया ने अपने करियर की शुरुआत पत्रकारिता से की। पत्रकारिता करते हुए एक फैमिली फ्रेंड के यहां सुप्रिया की मुलाकात, अमेरिका में नौकरी करने वाले सदानंद सुले से हुई। सदानंद बाला साहब (बाल ठाकरे) के भांजे भी हैं। पहली मुलाकात के बाद दोनों ने एक दूसरे को समझने के लिए समय दिया। शिवसेना प्रमुख बाला साहब ठाकरे और तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने दोनों की शादी के लिए अगुवाई की। इसके बाद पवार और प्रतिभा की मंजूरी के साथ दोनों का विवाह हुआ।
शादी के बाद सुप्रिया भी कुछ साल के लिए विदेश रहीं। यहां उन्होंने बार्कले यूनिवर्सिटी में हायर स्टडीज करते हुए जल प्रदूषण को लेकर एक रिसर्च पेपर भी लिखा। इसके कुछ साल बाद कई देशों की यात्रा करने के बाद दोनों भारत लौट आये। फिलहाल सुप्रिया सुले के दो बच्चे हैं। और वो अपने अपने परिवार के साथ एक खुशहाल जीवन बिता रही हैं।
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