सोनिया गांधी ने आखिर लोकसभा चुनाव से दूरी क्यों बनाई?

राजनीति में रूची रखने वालों को शायद याद हो कि साल 2019 में ही लोकसभा चुनाव के दौरान सोनिया गांधी ने अगला चुनाव न लड़ने की घोषणा की थी। और अब जब 2024 का चुनाव महज कुछ महीने दूर है, तो सोनिया गांधी ने राज्यसभा का रुख कर लिया। उन्होंने इसके पीछे अपनी खराब सेहत और बढ़ती उम्र का हवाला दिया है। लेकिन उनके विरोधी इसे उनकी हार को लेकर चिंता करार दे रहे हैं।

सोनिया गांधी ने बुधवार, 14 फरवरी को अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली की जनता को एक भावुक चिट्ठी लिखी। इस चिट्ठी में उन्होंने रायबरेली के प्रति अपनी भावनाओं का इजहार करने के साथ ही परिवार को संभाल लेने की बात भी कही है। उन्होंने साफ शब्दों में रायबरेली की जनता को धन्यवाद करते हुए कहा है, “मैं जो भी हूं, वह रायबरेली की जनता के कारण हूं। मेरा भरोसा है कि आप हमारे परिवार को संभाल लेंगे।

रायबरेली से गहरा रिश्ता

सोनिया गांधी ने अपने पत्र में आगे लिखा है कि उनका रायबरेली से गहरा रिश्ता है और दिल्ली में उनका परिवार अधूरा है, जो रायबरेली जाकर ही पूरा होता है। इस चिट्ठी में उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से लोकसभा चुनाव न लड़ने की बात भी कही है। राजनीति के गलियारों में ये चर्चा पहले से ही तेज़ थी कि सोनिया गांधी को इस बार पार्टी राजस्थान से राज्यसभा का टिकट देगी। हुआ भी कुछ वैसा ही। सोनिया गांधी ने बुधवार को ही राजस्थान से राज्यसभा के लिए नामांकन भी भर दिया।

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राज्यसभा की सीटों के लिए अप्रत्यक्ष चुनाव

खबरों की माने, तो इतिहास में पहला बड़ा मौका हो सकता है जब नेहरूगांधी परिवार का कोई व्यक्ति परिवार का गढ़ मानी जाने वाली अमेठी और रायबरेली की सीटों का प्रतिनिधित्व लोकसभा में नहीं करेगा। हालांकि पार्टी के कई सूत्र और राजनीतिक जानकारों का मानना है कि प्रियंका गांधी अब रायबरेली से चुनाव लडेंगी। लेकिन अभी इसकी भी कोई घोषणा या स्पष्ट जानकारी सामने नहीं आई है।

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश समेत 15 राज्यों में राज्यसभा की सीटों के लिए मतदान 27 फरवरी को होना है। नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 15 फरवरी है। उम्मीदवार 20 फरवरी तक अपने नाम वापस ले सकते हैं। जैसा कि आपको पता ही होगा कि राज्यसभा के लिए जनता सीधे मतदान नहीं करती। इसमें जनता के चुने हुए प्रतिनिधि, विधायक हिस्सा लेते हैं। इसलिए इसके चुनाव को अप्रत्यक्ष चुनाव भी कहा जाता है।

सोनिया गांधी की बात करें, तो उन्होंने साल1999 में राजनीति में कदम रखने के बाद कर्नाटक की बेल्लारी और उत्तर प्रदेश की अमेठी सीट से चुनाव लड़ा। दोनों सीटों पर उन्हें जीत मिली। इसके बाद उन्होंने 2004 में ये सीट राहुल गांधी के लिए छोड़ दी और रायबरेली से चुनाव लड़ा। वह अब तक लगातार छह बार लोकसभा चुनाव जीतती आ रही हैं। उनका पूरा राजनीतिक सफर रायबरेली के इर्दगिर्द ही घूमता है।

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कांग्रेस परिवार का गढ़

रायबरेली लोकसभा सीट को देखें, तो यहां आजादी के बाद हुए पहले लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी ने जीत हासिल की थी। इसके बाद इंदिरा गांधी यहां से लोकसभा मैदान में उतरीं और उन्हें भी रायबरेली से खूब प्यार मिला। इंदिरा के बाद सोनिया गांधी ने रायबरेली की सीट पर चुनाव लड़ा और मौजूदा समय में वहीं से सांसद है। ये सीट कांग्रेस परिवार का गढ़ कही जाती है। और यही कारण है कि गांधी परिवार लगातार इस सीट से लोकसभा में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाता रहा है।

बहरहाल, राजनीति के अपने दांवपेंच हैं। यहां कभी कोई राजा तो कभी रंक है। आज इस पार्टी तो कल उस पार्टी में चला जाता है। इस बार के लोकसभा चुनावों से पहले कई वरिष्ठ नेताओं को पाला बदलते हुए देखा भी गया है। जो सबसे ज्यादा कांग्रेस के लिए ही चिंता का विषय है। 

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