यूपी: महिला किसान मशरूम की खेती से लिख रही हैं अपनी किस्मत, आप भी जानिए इनकी कमाई

नारी तू नारायणीके ध्येय वाक्य को लेकर केंद्र की मोदी सरकार महिलाओं को विकास से जोड़ने के तमाम प्रयास करती दिखाई देती है। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश में भी डंबल इंजन की सरकार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में कई अच्छे कदम उठाए हैं। एक ओर सरकार महिलाओं को अधिक संख्या में श्रम बल से जोड़ने का प्रयास कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर खेतीकिसानी में भी उन्हें नए हुनर सीखा रही है।

शायद आपको यूपी के बस्ती जिले के हर्रैया ब्लाक के नागपुर गांव की रहने वाली भूमिहीन महिला किसान कृष्णावती का नाम याद होगा। ये मेहनतकश महिला राज्यपाल से सम्मानित भी हो चुकी हैं। इन्होंने भूमिहीन होने के बावजूद मशरूम की खेती कर न केवल अपना परिवार संभाला बल्कि महिला सशक्तिकरण का अनोखा उदाहरण भी पेश किया है।

कृष्णावती से प्रेरित ही इस जिले की अब कई महिलाओं ने मशरूम की खेती शुरू की है। जिसमें कई स्वयं सहायता समूह भी जुड़े हैं। यहां कई गांवों में महिलाएं मशरूम की खेती कर अच्छा पैसा कमा रही हैं। मशरूम की खेती का सारा काम महिलाएं खुद करती हैं। सरकार और प्रशासन की पहल पर व्यापारी आते हैं, और उचित रेट भी दे रहे हैं

लाखों की है कमाई

मशरूम की खेती करती इन महिलाओं के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हैं, जो लोकर खबरियों द्वारा शूट किए गए हैं। इन महिलाओं का कहना है कि एक शेड को बनाने और मशरूम तैयार करने में 1 से 1.5 लाख का खर्चा आता है। मशरूम तैयार होने के बाद 2 से 2.5 लाख रुपये में बिकता है। इसके अलावा इन्हें सरकार द्वारा 50 हजार रुपए तक की आर्थिक मदद भी मिलती है, जो इनके हौंसलों को और मजबूत करती है।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार महिला किसानों को सपोर्ट फंड भी देती है। जो उनकी हिम्मत को और बल देता है। ये फंड उन्हें खेती की लागत में भी मदद करता है। इसके अलावा इसकी आमदनी से उनके परिवार की आर्थिक मदद भी हो जाती है। सरकार ने उत्पादक समूह भी बनाए हैं, जो इन किसानों को खेती से जुड़ी सही जानकारी मुहैया करवा सके। ये उत्पादक समूह इन किसानों को बीज से लेकर बुआई, कटाई सब किस्म की मदद उपलब्ध करवाते हैं, जिससे किसानों को एक्सपर्ट एडवाइज भी मिल जाती है।

करोड़ों महिलाएं किसान

2011 की जनगणना के अनुसार भारत में महिला किसानो (मुख्यतः खेतीकिसानी पर निर्भर और सीमांत) की संख्या 3.60 करोड़ थी। तो वहीं, महिला खेत मजदूरों (मुख्यतः खेतीकिसानी पर निर्भर और सीमांत) की संख्या 6.15 करोड़ थी। अब इस एक दशक से ज्यादा के समय में निश्चित तौर पर इस संख्या में इज़ाफा हुआ है, ऐसे में सरकार भी देश के विकास में महिला किसानों को साथ लेकर चलने के लिए कई स्किम्स तैयार कर रही है।

सीएम योगी ने कई मंचों से कहा है कि उनकी सरकार महिला विकास और सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। और इसका उदाहरण भी कई क्षेत्रों में देखने को मिलता है। इस साल के गणतंत्र दिवस की थीम में भी महिला सशक्तिकरण की थीम नजर आई। जहां पहली बार इतनी बड़ी संख्या में महिलाओं ने कर्तव्य पथ पर अपना दमखम दिखाया। ये महिला विकास ही आगे चलकर देश विकास की तकदीर लिखेगा।

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