आप अगर रोज खबरों का हाल रखते हैं, तो आपको यकीनन पता ही होगा कि अक्सर सुर्खियों में प्यार में सताई, मारी या शोषण का शिकार लड़कियों के समाचार होते हैं। ये सिर्फ मुंबई की श्रद्धा वाकर, हैदराबाद की कृतिका या झारखंड के राबिका पहाड़िन की कहानी नहीं है, ये देश की हजारों लड़कियों का किस्सा है, जो अपना सब कुछ छोड़कर अपने प्यार के पास तो आ जाती हैं, लेकिन यहीं उन्हें दुनिया का सबसे बड़ा जहन्नुम भी देखने को मिलता है।
ऐसा नहीं की सभी प्यार के रिश्ते ऐसे ही होते हैं, लेकिन इन जैसे मामलों के सामने आने पर कई सवाल तो जरूर ही उठने लगते हैं। ज्यादातर पढ़ी–लिखी लड़कियां टॉक्सिक रिलेशनशिप को बर्दास्त नहीं कर पातीं। उन्हें जब मामला समझ आता है, तो वो इस रिश्ते से अलग होने के रास्ते तलाशने लगती हैं, जो उनके सो कॉल्ड लवर या पति को पसंद नहीं आता और फिर एक दिन इस तरह के भयंकर कांड की खबरें सामने आ जाती हैं।
रिश्ते में घुटन महसूस होने लगे, तो ये टॉक्सिक है
फिल्मों में आपने ये डायलॉग तो खूब सुना होगा कि ‘ये इश्क नहीं आसां, एक आग का दरिया है और डूब के जाना है।‘ असल जिंदगी में भी कुछ लोग इसे सच मानने लगते हैं और तमाम खतरे मोड़ लेकर, अपने जिद और प्यार के जुनून में एक–दूसरे के लिए कुछ भी सहने या करने को तैयार हो जाते हैं। कई बार ये प्यार मुकम्मल भी हो जाता है और कई बार इस रिश्ते में घुटन महसूस होने लगती है।
इसमें कोई दो राय नहीं कि जब आप किसी व्यक्ति से प्यार करते हैं तो उस रिश्ते में समस्याएं भी होंगी लेकिन जब ये समस्याएं दर्दनाक, हानिकारक और नकारात्मक रूप से आपको प्रभावित करने की कोशिश करने लगे तब ये टॉक्सिक बन जाता है। आसान भाषा में समझें तो जब आपको किसी रिश्ते में खुशी से ज्यादा दुख महसूस होने लगे, सुकून से ज्यादा टेंशन होने लगे। या कोई आप पर नियंत्रण पाने के लिए अनैतिक और ग़लत बर्ताव करने लगे, आपको तवज्जो न दे। ऐसे में समय रहते इसकी पहचान करें और सुरक्षित इससे बाहर निकलने की कोशिश करें।
भावात्मक हिंसा और भी खतरनाक
एक छोटी सी कहानी से प्यार के रिश्ते के टॉक्सिक बनने के प्रोसेस को समझते हैं। एक शहर में राधिका नाम की एक मस्तमौला लड़की थी, जो एक दिन अपने ही कॉलेज में पढ़ने वाले एक लड़के राहुल से मिली और दोनों की जान–पहचान बढ़ी। धीरे–धीरे दोनों साथ मेें घूमने–फिरने लगे, ज्यादा टाइम बिताने लगे और फिर एक दिन प्यार का एहसास भी हो गया।
पहले तो लड़की ने लड़के को इस रिश्ते और शादी के लिए मना कर दिया। लेकिन बाद में जब लड़के ने कई कोशिशें की, तो लड़की भी मान गई। इस दौरान लड़के ने अपनी एक अच्छी छवि पेश की। वो कॉलेज के बाद नौकरी में व्यस्त होने के बावजूद लड़की के लिए समय निकालता था। वह उसकी हर तरह से देखभाल भी करता था। लड़की को लगा कि ये लड़का उसके लिए सही रहेगा, हमेशा उसे खुश रखेगा।
लेकिन जब दोनों साथ रहने लगे। तब कहानी में असली ट्विस्ट आया। पहले दो महीने बड़े सुख से बीते, बाद में उनके बीच धीरे–धीरे बहस होने लगी। लड़का जो पहले समझदार था, अब धीरे–धीरे नाराज़गी जाहिर करने लगा। अपने घरवालों से दूर रहने के लिए वो लड़की को कोसने लगा। वो कहने लगा कि तुम्हारी वजह से मैं अपने परिवार दूर हूं, दोस्तों, रिश्तेदारों से दूर हूं।
लड़की शुरुआत में इन बातों के लिए खुद को दोषी भी मानने लगी। लेकिन जल्द ही उसे समझ या गया कि ये सब उसे कंट्रोल करने की कोशिस है। दरअसल, लड़का लड़की को अपने हिसाब से रखना चाहता था। उसे उसकी जिंदगी से अलग कर अपने तरीके से चलाना चाहता था। लड़की अवसाद में चली गई और फिर एक दिन उसके साथ कुछ ऐसा हुआ कि उसने इस रिश्ते से अलग होना एक बेहतर विकल्प समझा। राधिका इस रिलेशनशिप में लंबा समय बीता चुकी थी, लेकिन फिर भी उसने रिश्ता ख़त्म करने का फ़ैसला लिया। ये सही फैसला था, क्योंकि खुद को खत्म करने से अच्छा है कि आप रिश्ता ही खत्म कर दो।
दूसरे व्यक्ति के डर से बाहर निकलें, जरूरी मदद लें
यहां ये साफ कर दें कि इस रिश्ते में मारपीट वाली हिंसा नहीं थी। ये एक भावनात्मक रूप से प्रताड़ना थी, जो घरेलू हिंसा के अंतर्गत आती है। यहां ये ज़रूरी है कि किसी भी ऐसे लक्षणों को तुरंत पहचान लिया जाए और दूसरे व्यक्ति के डर से बाहर निकला जाए। यह समझना महत्वपूर्ण है कि किसी व्यक्ति के नियंत्रण में रहने या उसके हिसाब से दुनिया देखने की आपको कोई आवश्यकता नहीं है।
भावात्मक हिंसा में आपको बातचीत करने से ही थकान और तनाव महसूस होने लगता है। इस रिश्ते को लेकर भी आपको लगातार नकारात्मक विचार आने लगते हैं। ये रिश्ता एक असंतुलित रिश्ता बन जाता है और आपका साथी आपका अनादर करने लगता है और आपकी राय को महत्व नहीं देता। तो आप इस रिश्ते से बाहर निकल आइए। यहां अब आप के लिए कुछ नहीं बचा।
शुरुआती वाद–विवाद में आप सवालों के जवाब तलाशने के लिए बातचीत का रास्ता अपना सकते हैं। लेकिन जब ये रास्ता खंडहर बन जाए, तो समझ लीजिए आपको अब यहां से निकलने की जरूरत है। बेशक ये आपके लिए आसान नहीं होने वाला क्योंकि टॉक्सिक रिलेशनशिप में पूरा समय बुरा व्यवहार या यातना भर नहीं होता है, बीच में अच्छे पल होते हैं, प्यार के पल, भावनात्मक पल, प्रशंसा के पलष कभी–कभी उन अच्छे अनुभवों और भावनाओं के कारण, हमारे दिमाग़ को रिलेशनशिप की आदत हो जाती है, जो आसानी से छुटती नहीं है। लेकिन आप सही समय पर अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति को जगाएं। हेल्प के लिए दोस्तों के साथ ही महिला आयोग और कानून की मदद का भी रास्ता है आपके पास।
आप राष्ट्रीय महिला आयोग हेल्पलाइन 7827170170 पर मदद के लिए संपर्क कर सकती हैं। इसके अलावा पूरे देश में अगर कोई महिला परेशानी में है तो वह 1091 से भी सहायता ले सकती है। आप घरेलू हिंसा की हेल्पलाइन181 पर भी मदद मांग सकती हैं। यह हेल्पलाइन घरेलू हिंसा का सामना करने वाली महिलाओं के मुद्दों का समाधान करने के लिए है। पति, ससुराल या लिव–इन पार्टनर द्वारा दुर्व्यवहार या हिंसा के मामले में आप यहीं संपर्क करें।