लोकसभा चुनाव में अब महज़ कुछ ही दिनों का समय बचा है। ऐसे में सभी पार्टियां अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर रही हैं। कांग्रेस पार्टी की पहली लिस्ट में भी 39 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर दिया गया है। इसमें छत्तीसगढ़ राज्य के 6 लोकसभा सीटों के लिए भी प्रत्याशियों के नाम शामिल हैं। कांग्रेस ने कोरबा से वर्तमान सांसद ज्योत्सना महंत पर फिर से विश्वास जताया है। उन्हें दोबारा टिकट दिया गया है।
आपको बता दें बीजेपी ने भी कोरबा से इस बार महिला प्रत्याशी सरोज पांडे को टिकट दिया है। सरोज पांडे बीजेपी की राष्ट्रीय महासचिव हैं और इससे पहले दुर्ग से चुनाव लड़ी थीं। लेकिन इस बार उनका सामना वर्तमान सांसद ज्योत्सना महंत से होगा। ये मुकाबला इस बार मजेदार होने की पूरी संभावना है।
ज्योत्सना महंत कौन हैं?
ज्योत्सना महंत फिलहाल कोरबा से ही सांसद हैं। उनके पति छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. चरणदास महंत हैं। ज्योतसना इन्हें अपना राजनीतिक आदर्श भी मानती हैं। स्थानीय लोगों की मानें, तो कोरबा लोकसभा क्षेत्र वासियों से उनका सतत जीवंत संपर्क रहा है।
सांसद ज्योत्सना महंत का जन्म वर्ष 18 नवंबर 1953 को हुआ। वे एक पोस्ट ग्रेजुएट नेत्रि हैं। ऐसा बताया जाता है कि उनकी समाज सेवा और जन चेतना के कार्यों में प्रारंभ से रुचि रही है। फिलहाल वह 25 वर्षों से जनसेवा के कार्य में लगी हैं और राजनीति को जनसेवा का माध्यम बनाया है।
विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में
कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कोरबा लोकसभा में मेडिकल कॉलेज, श्रमिकों के लिए ईएसआईसी हॉस्पिटल की स्थापना कराने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही हैं। भू–विस्थापितों की मांगों और मुद्दों से लेकर रेल सुविधाओं के लिए भी वे संसद में मुखर रही हैं। केंद्रीय नेताओं से लगातार पत्र व्यवहार व प्रत्यक्ष संपर्क करती रही हैं। वे अपने सहज और सरल स्वभाव के कारण क्षेत्रवासियों के बीच लोकप्रिय हैं। हालांकि वो अपने विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में जरूर रही हैं।
गौरतलब है कि इस बार कांग्रेस लोकसभा चुनाव तमाम विपक्षी दलों के साथ गठबंधन में लड़ रही है। और उसकी पहली सूची देखकर यही लगता है कि वो इस बार अपने दिग्गज नेताओं को मैदान में उतारने का पूरा मूड भी बना चुकी है। कांग्रेस के सामने बीजेपी है, जो इस पार एनडीए के लिए 400 पार का नारा लगा रही है। खुद पीएम मोदी कई मंचों से इसकी पुष्टि कर चुके हैं। ऐसे में ये चुनाव मुख्य विपक्षी दल के लिए बिल्कुल भी आसान नहीं होने जा रहा।
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